Simran Ansari

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रूहानी रिश्ता : भाग - 8

      करण थोड़ी देर तक वही अजय और पुनीत के पास बैठा रहा और वो बैठा तो अपने दोस्तों के साथ था लेकिन उसकी नजरें बार-बार समीरा की तरफ जा रही थी एक दो बार समीरा ने भी करण की तरफ देखा लेकिन जैसे ही दोनों की नजरें मिलती करण इधर-उधर देखने लगता था।।।


   उसकी इस हरकत से समीरा समझ गई थी कि ज़रूर कोई ना कोई बड़ी बात है जो करन ऐसे बिहेव कर रहा है लेकिन वह करण से कुछ नहीं बोली और अपने काम में लगी रही थोड़ी देर के बाद करेंगे वहां से उठकर दुकान के बाहर चला गया जब तक समीरा ने घड़ी की तरफ देखा तो 7:00 बज रहे थे उसने जल्दी अपना सामान समेटा और काम खत्म करके पुनीत से बोली- ओके बाय मैं अब चलती हूं..... कल बहुत लेट हो गया था तो टैक्स नहीं मिल रही थी।।।

    इस पर पुनीत ने कहा ओके बाय जाओ तुम अगर कोई बुक लेने आया तो हम देख लेंगे.....

   फिर अजय ने भी समीरा को बाय बोला।।

ओके थैंक्स पुनीत कहकर समीरा ने अजय को भी बाय बोला और वहां से निकल गई।।।

  समीरा भी दुकान से बाहर निकलता है सड़क क्रॉस करने ही वाली थी कि करण अपनी बाइक लेकर उसके सामने आकर खड़ा हो गया.....

   समीरा हैरानी से करण की तरफ देखने लगी लेकिन कुछ भी नहीं बोली शायद कर्ण के बोलने का इंतजार कर रही थी.....

उसे अपनी तरह ऐसे देखता हुआ करण समीरा से बोला- अब ऐसी क्या देख रही हो बैठो जल्दी से तुम्हें घर ड्रॉप कर देता हूं आज तो मुझे तुम्हारा एड्रेस भी पता है।।।

   अरे नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है मैं चली जाऊंगी टैक्सी से और आज लेट भी नहीं हुआ है तो कोई जरूरत नहीं अभी तो 7:00 ही बजे हैं- समीरा करन को मना करते हुए वहां से आगे बढ़ गई......

   तो करण भी उसके पीछे-पीछे अपनी बाइक से सड़क के दूसरी साइड आ गया जहां खड़ी होकर समीरा टैक्सी का वेट करने लगी, उसे ऐसा करते देखकर करण को बहुत गुस्सा आया - वह थोड़ा चिल्लाते हुए बोला तुम्हें समझ नहीं आ रहा है समीरा चुपचाप बैठो बाइक पर.....

  अरे क्यों बैठूं नहीं बैठना मुझे मैंने कहा ना मैं चली जाऊंगी क्यों मेरी वजह से अपना टाइम वेस्ट कर रहे हो जाओ यहां  से - समीरा ने भी करण की ही तरह चिल्लाते हुए कहा....

क्यों जाऊं अभी दिन में तो तुमने भी कहा कि हम फ्रेंड्स हैं तो फिर मैं तुम्हें घर नहीं ड्रॉप कर सकता क्या?? करन ने कहा

    जब तुम मुझसे कोई बात शेयर ही नहीं कर सकते तो फिर हम भला किस तरह के फ्रेंड्स है और मैं तुमसे रोज रोज हेल्प नहीं ले सकती सॉरी- समीरा ने दूसरी तरफ मुंह फेरते हुए कहा

इस पर करन अपने मन में ही सोचने लगा अरे यार यह लड़की भी कमाल है अभी तक उसी बात पर अटकी है जो मैंने इसे नहीं बताया कि मैं कल शॉप पर क्यों नहीं आया था लगता है जानकारी मानेगी उसे बताना ही पड़ेगा.....

   अच्छा ठीक है बैठो मैं रास्ते में बताता हूं- करण ने कहा

यह बात सुनकर समीरा शक भरी निगाहों से उसकी तरफ देखते हुए बोली - पक्का बताओगे ना

अब करण थोड़ा सा झल्लाते हुए बोला - हां पक्का मेरी मां बैठो तो सही.....

   यह सुनकर समीरा भी खुशी-खुशी करण के साथ बाइक पर बैठ गई और करण बाइक स्टार्ट की और वहां से आगे चल पड़ा.....

थोड़ी देर बाद करन बोला- अच्छा आज तो तुम्हें लेट नहीं हो रहा है ना???

नहीं आज तो जल्दी निकल आई थी, लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो- समीरा ने कहा

  नहीं बस ऐसे ही कहकर करन ने बाईक दूसरी तरफ मोड़ दी तो उसे ऐसा करते देख समीरा ने कहा- लगता है तुम रास्ता भूल गए हो मेरे घर का???

   " अरे नहीं मुझे याद है लेकिन अभी हम घर नहीं जा रहे हैं कहीं और जा रहे हैं" करण ने समीरा की बात का जवाब दिया

   अच्छा कहां जा रहे हैं हम दोनों बताओ तो सही - समीरा ने पूछा.....

    बस तुम्हारे सवाल का जवाब देने ही जा रहा हूं तुम्हें जानना है ना मैं कल क्यों नहीं आया था- करण ने समीरा को बताया

    अच्छा ठीक है कहकर समीरा चुप हो गए थोड़ी देर तक वह दोनों कुछ नहीं बोले उसके बाद करण ने एक घर के सामने बाईक रोक दी और समीरा से बोला - नीचे उतरो बाइक से......

   समीरा भी बाइक से नीचे उतर गई और फिर करन से पूछने लगी - कुछ बताओ तो यार हम कहां आए हैं कितना सस्पेंस क्रिएट करोगे???

   बाइक स्टैंड पर लगा कर समीरा का हाथ पकड़ करें घर के अंदर ले जाते हुए करण ने समीरा की तरफ देखकर पूछा - भरोसा करती हो ना मुझ पर???

    हां बिल्कुल करती हूं तभी तो तुम्हारे साथ यहां तक आई, लेकिन तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो?? समीरा ने जवाब दिया

    क्योंकि यह मेरा घर है यहां पर मैं अपनी नानी के साथ रहता हूं मां के बाद अब सिर्फ वही मेरी अपनी है जिनके सहारे मैं बस जी रहा हूं- कहते हुए करन समीरा को लेकर घर के अंदर आ जाता है और फिर अपनी नानी से मिलवाता है.... नानी यह समीरा है मेरी दोस्त और बुक स्टॉल भी यही संभालती है......  

फिर समीरा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं- बहुत प्यारी बच्ची है, 

उसकी नानी समीरा को देखकर बहुत खुश होती हैं और दोनों को आशीर्वाद देती हैं- हमेशा खुश रहो बेटा..... 

   करण समीरा से पूछता है कॉफी पियोगी??

इस पर समीरा थोड़ा सोचती हुए जवाब देती है अरे नहीं रहने दो.....

उसकी इस बात भर कारण मुस्कुराते हुए कहता है इतनी बुरी कॉफी भी नहीं बनाता मैं.... और समीरा को वही अपनी नानी के पास बिठाकर किचन में चला जाता है कॉफी बनाने.....

   करण को ऐसे मुस्कुराते देखकर उसकी नानी समीरा से कहती है - बहुत दिनों बाद करण को इतना खुश देखा है बेटा मैंने नहीं तो अपनी मां के एक्सीडेंट के बाद से तो वह जैसे हंसना है भूल गया था..... वह अपनी मां से बहुत ज्यादा इमोशनली अटैच्चड था क्योंकि उसके पिता बचपन में ही उसे और उसकी मां को छोड़ कर चले गए थे......करण की नानी समीरा को सारी बातें बता रही थी लेकिन समीरा को समझ नहीं आ रहा था वह कैसे रिएक्ट करेगा या उनकी बातों का क्या जवाब दें???

     और फिर नानी समीरा की तरफ देखते हुए बोलिए लेकिन मुझे लगता है अब करण को फिर से मुस्कुराने की वजह मिल गई है तू मेरे करन का साथ कभी मत छोड़ना बेटा.....

    मैं हमेशा उसके साथ रहूंगी- समीरा केवल इतना ही बोल पाई..... कि तभी करण कॉफी लेकर किचन से वहां पर आ गए हैं और बोला - नानी जरूर मेरी शिकायतें कर रही होंगी, क्यों समीरा.....

   इस पर समीरा उसे चिढ़ाते हुए बोली नहीं सब लोग तुम्हारी तरह नहीं होते और हम क्यों बताएं हमारे बीच की बात है क्यों नानी.....  

   हां बिल्कुल नानी भी हंसकर समीरा का साथ देते हुए बोली

इस बात पर करन थोड़ा सा चल गया और बोला आप मेरी नानी हो या इसकी??

हां तो अब मेरी भी नानी है, सिर्फ तुम्हारी नहीं- समीरा बोली

तो उसकी इस बात पर करण भी मुस्कुरा दिया और मुस्कुरा कर बोला अच्छा ठीक है कॉफी पियो अपने घर नहीं जाना क्या?? 

    करन की बात सुनकर समीरा को घर जाने का ध्यान आया नहीं तो वहां इन सब में तो जैसे घर जाना है भूल गई थी....

अरे हां यार हड़ बड़ा कर समीरा ने घड़ी की तरफ देखा और बोली- ओह नो 8:00 बजने वाले हैं लगता है आज फिर मैं तुम्हारी वजह से लेट हो जाऊंगी.....

   इतना बोल कर समीरा जल्दी से कर्ण के हाथ से कॉफी लेकर पीने लगती है और कॉफी खत्म करके अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है और करन से कहती है- ओके बाय अब मैं चलती हूं नहीं तो घर पहुंचने में बहुत देर हो जाएगी।।। बाय नानी मैं फिर आऊंगी आपसे मिलने.....

    हां ठीक है आती रहना बेटा - नानी भी समीरा से कहती है

इस पर करण समीरा से कहता है 2 मिनट रुक जाओ मैं तुम्हें ड्रॉप कर दूंगा बाइक से.....

  अरे नहीं करन मैं चली जाऊंगी और तुम अपने घर से उल्टा मेरी घर की साइड जाओगे क्या - समीरा बहाना बनाते हुए कहती हैं.....

    अच्छा एक मिनट इधर तो आओ कहकर करण फिर से समीरा का हाथ पकड़ कर उसे एक कमरे में ले जाता है और कहता है अपने सवाल का जवाब नहीं जानना अब तुम्हें  कि मैं कल क्यों नहीं आया था.....

   इस पर समीरा कहती है हां मैं समझ गई तुम नानी की वजह से नहीं आ पाए होगे.....

    नहीं समीरा वह बात नहीं है और इसके बाद समीरा का हाथ पकड़ कर उसे दीवार पर लगी एक फोटो की तरह मोड़ता है , उस फोटो पर हार चढ़ा हुआ है करण समीरा को फोटो दिखाते हुए कहता है- यह मेरी मां की तस्वीर है समीरा और कल मेरी मां को मरे हुए 3 साल हो गए, कल के दिन ही वह मुझे अकेला छोड़ कर इस दुनिया से चली गई थी इसलिए कल के दिन में पूरा दिन अपने कमरे में ही था और मां की बहुत याद आ रही थी.......

इतना कहते-कहते करण की आंखों में आंसू आ जाते हैं और अब समीरा तो समझ आता है कि क्यों करण उसे नहीं बता रहा था कि कल वह दुकान पर क्यों नहीं आया था.....

    समीरा से करन की ऐसी हालत देखी नहीं जाती और वह उसे गले लगा लेती है और चुप कराते हुए कहती है - आई एम सो सॉरी करन मुझे नहीं पता था मुझे नहीं पूछना चाहिए था मेरी वजह से तुम प्लीज मत रो मुझे बहुत बुरा लग रहा है.....

    इस पर करन अपने आंसू पूछते हो गया समीरा से दूर होते हुए कहता है- तुम सॉरी मत बोलो समीरा इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं मेरी भी किस्मत में अकेला रहना लिखा है, चलो मैं तुम्हें घर ड्रॉप कर देता हूं......

   इतना कहकर करण अपनी बाइक की चाबी उठाकर वहां से बाहर चला जाता है और समीरा को भी बाहर आने को कहता है..... लेकिन समीरा थोड़ी देर वहीं पर खड़ी करण की मॉम की तस्वीर देखती रहती हैं.....

   थोड़ी ही देर में करण बाहर से आवाज लगाता है- जल्दी करो समीरा तुम्हें लेट हो जाएगा।।।

करण की आवाज सुनकर समीरा चौक कर बोलती है हां बस आई और जल्दी से भाग कर बाहर जाती है..... वहां पर करण पहले से ही बाइक स्टार्ट करके खड़ा रहता है और वह उसके पीछे बैठ जाती है.....

    पूरे रास्ते दोनों में से कोई कुछ नहीं बोलता है और थोड़ी देर में समीरा का घर आ जाता है और वह चुपचाप उतर के अपने घर के अंदर चली जाती है करन भी अपनी बाइक में होकर अपने घर की तरफ आ जाता है......

    समीरा अभी भी करण के बारे में ही सोच रही होती है और सीधे अपने कमरे में जाने लगती है तभी उसकी मां उसे पीछे से आवाज देती हैं - क्या हुआ समीरा आज सीधे अपने कमरे में चली जा रही है...... मेरे पास बैठ कर बातें नहीं करेगी रोज की तरह.....

अपनी मां की आवाज सुनकर समीरा दौड़ कर उनके पास आती है और उन्हें पीछे से गले लगा लेते हैं और कहती है कुछ नहीं बस वो आज थोड़ा थक गई हूं इसीलिए चेंज करने जा रही थी लेकिन आप से बात करना ज्यादा इंपॉर्टेंट है मेरे लिए बोलिए कहकर अपनी मां के साथ में सोफे पर बैठ जाती है..... सोफे पर बैठे हुए समीरा की मां उससे कहती है अगर तु ज्यादा थक गई है तो तेरे लिए कॉफी बना कर ले आऊं.....

अपनी मां की इस बात पर समीरा अचानक ही बोल पड़ती है अरे नहीं बाबा काॅफी तो मैं पी कर आई हूं.....

   समीरा की इस बात पर उसकी मां उसका चेहरा देखने लगती है और पूछती है - अच्छा कॉफी कहां से पी कर आई हो???

   अरे नहीं मां मैं तो यह कह रही थी कि मैं कॉफी नहीं पीने मुझे सिर्फ आप मेरे पास ही बैठे रहो और कॉफी अपने मैं खुद बनाऊंगी अपने लिए ,आप बहुत काम करते हो वैसे भी- कहकर समीरा फिर से बैठे-बैठे ही अपनी मां के गले लग जाती हैं।।।

   क्या हो गया है मेरी बच्ची को आज बहुत ज्यादा प्यार आ रहा है अपनी मां पर- समीरा की मां ने मुस्कुराकर समीरा का चेहरा छूते हुए कहा.....

   इस पर समीरा थोड़ा मुंह बनाते हुए बोली आप ऐसे क्यों कह रहे हो मां क्या सिर्फ आज ही प्यार आ रहा है मैं तो हमेशा ही आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं.....

   हां हां मुझे पता है और मैं भी अपनी बच्ची से बहुत प्यार करती हूं लेकिन आज कुछ अलग लग रही हो तुम मुझे - समीरा की मां ने थोड़ा सोचकर बोलते हुए कहा

  कुछ अलग वलग नहीं हूं मैं मां आप कुछ ज्यादा ही सीरियल देखने लगी हो - समीरा अपनी मां को समझाते हुए कहती है.....

   अच्छा ठीक है अब जाकर तुम कपड़े चेंज कर मैं अभी किचन में जाकर डिनर देखती हूं- इतना कहकर समीरा की मां किचन में चली जाती हैं और समीरा भी कपड़े चेंज करने अपने रूम में चली जाती है......

थोड़ी देर बाद समीरा मुंह धो कर वाॅशरूम से बाहर निकलती है और टाॅवल से मुंह पोंछते हो बेड पर बैठी हुई करण के बारे में सोचती रहती कि कैसे वह अपनी मां के बिना रहा होगा 3 साल..... मैं तो एक भी मिनट नहीं रह सकती.....

   समीरा बैठकर यह सब सोचती ही रहती है कि तभी उसकी मां बाहर से आवाज देती हैं कि आकर डिनर कर ले तो वह अपने कमरे से डायनिंग हॉल तक चली जाती है और मम्मी पापा के साथ बैठकर डिनर करने लगती है.....


जारी........


    


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4 Comments

The story

14-Mar-2022 07:59 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

13-Mar-2022 06:08 PM

बहुत बढ़िया भाग

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Sandhya Prakash

13-Mar-2022 01:27 AM

बहुत खूब

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